Tuesday 20 August 2013

इस दिल को कई कहानियाँ .....

Raghupati Sahay, better known as Firaq has been one of the stalwarts of indian
literature. Dedicated to him, the first two lines of my poem have been borrowed
from one of his creations.
http://en.wikipedia.org/wiki/Firaq_Gorakhpuri


शाम भी थी धुआं धुआं, हुस्न  भी था उदास उदास,
दिल को कई कहानियाँ बस याद सी आकर रह गयी.

दूर तैरते बादल थे रात तनिक शर्मा सी गयी थी,
शाम वहाँ सौत बनी मेरे मन को भरमा सी गयी थी,
दिवाकर था छुपा छुपा और चाँद था जवाँ जवाँ ,
इस दिल को कई कहानियाँ बस याद सी आकर रह गयी.

हम बैठे मुंडेर पर चाँद को ताक भी रहे थे,
सामने की सड़क पर उन्हें झाँक भी रहे थे,
उनके कदम होते थे दबे दबे और हुस्न खिला खिला,
दिल को कई कहानियाँ बस याद सी आकर रह गयी.

नज़र होती थी पतंगों पे और होश उनके हवाले ,
अन्दर था गुरुर, पर " हुजूर " उस नूर के हवाले,
उस चाँद ने हमे कुछ कहा नहीं, और हमे चुप्पी ही इतनी भा  गयी,
दिल को कई कहानियाँ बस याद सी आकर रह गयी.

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